इतिहास
पुर्तगालियों ने यहाँ पर दीव किला बनाया और चारों ओर एक चारदिवारी बनाई. परन्तु गुजरात के सुल्तान को अपनी उदारता पर जल्द ही पछतावा हुआ और उसने पुर्तगालियों से युद्ध किया। इस युद्ध में वह मारा गया।
१५३७ और १५४६ के मध्य सुल्तान के द्वारा पुर्तगालियों को हटाने का प्रयास विफल हुआ। १५३८ में तुर्क साम्राज्य दीव की घेराबंदी, जो की पुर्तगालियों ने की थी, तोड़ने में असफल रहा।
कोजा सोफार ने दूसरी बार दीव की घेराबंदी की और इसे तुर्क तोड़ने में असफल रहे। इसके बाद दीव की किलेबंदी हो गयी और १७वीं शताब्दी के उत्तरार्ध में इसने अरब और डचों के आक्रमण सहे।
दीव १५३५ से १९६१ तक पुर्तगालियों के कब्जे में रहा। १९६१ में भारत सरकार द्वारा चलाये ऑपरेशन विजय के तहत गोवा और दमन के साथ यह द्वीप भी भारत में शामिल हो गया।
पर्यटन स्थल
दीव का किला:
यह १५३५ से १५४१ के मध्य पुर्तगालियों के द्वारा बनाया गया। यह तीन ओर से समुद्र से घिरा है। किले में एक बड़ा लाइट हाउस भी बना है
सेंट पॉल चर्च:
इसका निर्माण १६०१ में प्रारंभ हुआ और १६१० में यह बनकर तैयार हो गया। यह भारत के कुछ पुर्तगाली चर्चो में से एक है
नगवा समुद्र तट:
दीव के तटों पर केसरी सूर्य, सुनहरी रेत और नीले रंग के समुद्र का दिव्य मिलन नजर आता है। यहां सुंदर नजारों के साथ प्रकृति के संगीत का आनंद लिया जा सकता है। दीव पर पुर्तगालियों द्वारा बनाए गए किलों और विशाल गिरजाघरों को भी देखा जा सकता है। यहां पर प्रमुख 6 तट हैं- देवका तट, जामपोर तट, चक्रतीर्थ तट, गोमटीमाला तट, वनकभारा तट और नागोआ तट।
गंगेश्वर मंदिर:
यह शिव जी का अतिप्राचीन मंदिर है। यह फुदम से ३ कि॰मी॰ दूर है। यहाँ पर पाँच शिवलिंग है। यहाँ के लोगो का यह मानना है की पांडवो ने १३ वर्ष के वनवास के दौरान कुछ समय यहाँ बिताया था
अन्य स्थल:
- · घोघला समुद्र तट
- · जालंधर समुद्र तट
- · सेंट थॉमस चर्च
- · सेंट फ्रांसिस चर्च
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